यह इमारत सेहन चिराग से पश्चित की तरफ है। नवाब बशीरुद्दौला ने अपने फरजन्द रशीद नवाब मुईनुद्दौला की पैदाइश
की खुशी में बनवाया था। नवाब ने दरबारे ख्वाजा में बेटे के लिए दुआ मांगी थी। अल्लाह तआला ने उन्हें अस्सी साल की उम्र में बेटा अता फरमाया। इसी खुशी और मन्नत की अदायगी में उन्होंने यह इमारत बनवायी। इसकी तामीर का काम 1306 हिजरी मे शुरू हुआ और 1309 हिजरी में यह इमारत बनकर तैयार हुई, इसकी लम्बाई 46 फुट और चैड़ाई भी 46 फुट है, यह इमारत चैकोर है। उर्स शरीफ के दिनों में मज्लिस सिमाअ (कव्वाली) का बन्दोबस्त इसी इमारत में रहता है, इसलिए इसको महफिल खाना कहते हैं।